नीरो बंसी बजा रहा था जब रोम जल रहा था
नीरो जो पांचवां रोमन सम्राट था। यह प्रारंभिक ईसाइयों (नए ईसाई धर्म अपनाने वालों) के प्रति अपनी भयानक क्रूरता के लिए इतिहास के सबसे क्रूर व्यक्तियों में से एक है।
जैसा कि किंवदंती है, जब रोम जल रहा था तो नीरो बंशी बजा रहा था। लेकिन आइये जानते हैं इसमें कितनी सच्चाई है?
“चैन की बंसी बजाना जब रोम जल रहा था” मुहावरा अब किसी ऐसे व्यक्ति की आलोचना करने के लिए प्रयोग किया जाता है जो अधिक गंभीर मामलों को सुलझाने की उपेक्षा छोटी-छोटी बातों पर अधिक चिंता कर रहा हो।
नीरो पर आरोप लगाया गया था कि आग लगने पर उसने रोम वासियों की परवाह नहीं की, जबकि उसके लोग इस आगजनी से पीड़ित थे और संकट में बेघर हो गए थे। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा हुआ था?
सन 64 ईस्वी की गर्मियों में, एक भीषण आग से रोम को छह दिनों तक जलता रहा था। इस आगजनी ने शहर की आधी आबादी को बेघर कर दिया गया था।
समकालीन रोमन इतिहासकार टैसिटस के अनुसार, आग ने 70 प्रतिशत इमारतों और घरों को नुकसान पहुँचाया था।
इससे लोगों में दहशत फैल गई, इसके साथ ही ये अफवाहें भी फैल गईं कि नीरो ने आग रोम में आग लगाने का आदेश दिया ताकि वह शहर को अपनी इच्छानुसार पुनर्निर्माण कर सके।
रोम के लोग चाहते थे कि इस घटना की लिए किसी को दोषी ठहराया जाए, और इसलिए यह संगीतमय कहानी लोगों के सामने आई।
इस कहानी के सत्य होने के राह में कई महत्वपूर्ण तथ्य हैं :
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बांसुरी का अभी तक आविष्कार नहीं हुआ था, बल्कि एक सहस्राब्दी (एक हज़ार वर्षों) तक नहीं हुआ था।
नीरो अत्यधिक संगीत प्रेमी था और सीतारा बजाना उसका प्रमुख शौक था, जो एक तार वाला वाद्य यंत्र था, लेकिन कोई सबूत नहीं है कि वह बंसी बजा रहा था।
दूसरा पहलु यह है की, जब आग लगी तब नीरो रोम में ही नहीं था। वह रोम शहर से दूर के एक बाहरी इलाके जिसका नाम एंटियम था वहां अपने विश्राम गृह में था।
भीषण आगजनी का समाचार सुनकर, वह आपातकालीन राहत और बचाव का इन्तेजाम करने के लिए तुरंत वापस रोम आया।
उसने बेघर रोमवासियों के लिए आस्थायी आश्रय के रूप में अपने निजी बगीचे को भी खोल दिया था।नीरो ने आगजनी के लिए तत्कालीन ईसाइयों को दोषी ठहराया, जिनका भयानक उत्पीड़न किया गया और सख्त सजा दी गयी।
लेकिन बाद में, उसने जले और बचे खंडहरों पर निर्माण करना शुरू कर दिया।
इसके इस जोर-शोर से निर्माण कार्य ने लोगों में इस आशंका को बल मिला कि इस घटना के लिए नीरो जिम्मेदार (दोषी) था, और इस कहानी पर लोगों का शक यकीन में बदलने लगा।
कई सदियाँ बीतने के साथ सितारा को बंसी के रूप में प्रचारित किया गया जो कालांतर में सत्य के रूप में प्रतिस्थापित हो गया था।
आग लगने के घटना के दौरान उनका व्यवहार उतना क्रूर और दुखदायी नहीं रहा होगा जितना कि बंसी बजाने की कहानी का तात्पर्य है, लेकिन यह कहा जा सकता है कि नीरो निश्चित रूप से एक लोकप्रिय शासक नहीं था।
उसे चार साल बाद उसे राज्य का दुश्मन घोषित कर दिया गया और उसने अपने गले में खंजर मारकर आत्महत्या कर ली।